बारिश का मौसम जैसे ही आता है वातावरण में नमी बढ़ जाती है, जिससे संक्रमण रोग , वायरल फीवर, सर्दी-जुकाम, पेट से संबंधी रोग और स्किन इंफेक्शन जैसे अन्य समस्याएं तेज़ हो जाती हैं। ऐसे में यदि कोई एक जड़ी-बूटी है जो शरीर को संपूर्ण सुरक्षा दे सकती है, तो वह है तुलसी माता – रोगों से रक्षा करने वाली आयुर्वेदिक देवी!
तुलसी (Ocimum sanctum या Holy Basil) एक धार्मिक, औषधीय और आरोग्यदायिनी पौधा है। इसे आयुर्वेद में “विषनाशी”, “जीवनदाता” और “सर्वरोगनाशिनी” जैसे विशेषणों से नवाज़ा गया है।
इसे प्रमुखतः तीन रूपों में जाना जाता है:
• श्यामा तुलसी (काली तुलसी)
• राम तुलसी (हरी तुलसी)
• वन तुलसी (जंगली तुलसी)
आयुर्वेद में तुलसी का महत्व
तुलसी को आयुर्वेद में रस, रक्त, त्वचा, मन और अग्नि को शुद्ध करने वाली औषधि माना गया है। यह त्रिदोषों वात, पित्त और कफ – को संतुलित करती है।
तुलसी के गुणः
रस (स्वाद): कटु (तीखा), तिक्त (कड़वा) (शुष्क) वीर्य (तासीर): उष्ण (गर्म)
प्रभाव: गुण: लघु (हल्का), रूक्ष विपाकः कटु
कफहर • दीपक और पाचन ज्वरनाशक विषनाशी मानसिक शांतिदायक (सत्त्ववर्धक)
तुलसी केवल औषधि नहीं, बल्कि भारतीय परंपरा में देवी तुलसी का स्वरूप मानी जाती है। हर घर में तुलसी का पौधा न केवल वातावरण को शुद्ध करता है, बल्कि सकारात्मक ऊर्जा भी देता है। “ तुलसी पत्रं च ये दद्यात् प्रेमयुक्तेन चेतसा । तेषां सन्तु गुणा सर्वे रोगनाशाय केवलम् ॥” मानसून ‘में तुलसी क्यों ज़रूरी है?
तुलसी के घरेलू नुस्खे:
सर्दी-खांसी-जुकाम में चमत्कारी काढ़ा
सामग्री: तुलसी की 10 पत्तियाँ, अदरक 1 टुकड़ा, 4 काली मिर्च, 1 लौंग, थोड़ा दालचीनी
विधि: 1 गिलास पानी में सारी चीजें डालकर उबालें जब तक आधा न रह जाए। सेवन: 1-1 कप सुबह-शाम, थोड़ा शहद मिलाकर !
यह काढ़ा कफ निकालता है, शरीर को गर्म रखता है और वायरस से रक्षा करता है।
बुखार में तुलसी का काढ़ा/ अर्क
विधि: तुलसी के पत्तों का रस निकालें (1 चम्मच), उसमें शहद मिलाकर दिन में 2 बार लें। यह वायरस जनित बुखार, मलेरिया और डेंगू में भी सहायक है।
इम्युनिटी बूस्टर है तुलसी की चाय
विधि: तुलसी की 4-5 पत्तियाँ, एक छोटा टुकड़ा दालचीनी और 1 लौंग को पानी में उबालें। छानकर नींबू और शहद डालें। यह चाय शरीर को अंदर से मजबूत बनाती है और मानसून की थकावट को दूर करती है।
पेट साफ और पाचन को सवस्थ
विधि: तुलसी के सूखे पत्ते, सौंठ और अजवाइन को पीसकर चूर्ण बनाएं। सेवन: भोजन के बाद 1/4 चम्मच गुनगुने पानी के साथ ले ,यह पेट दर्द, गैस, अपच और मरोड़ में राहत देता है। त्वचा के रोगों के लिए तुलसी का लेप
विधि: तुलसी की पत्तियाँ पीसकर हल्दी और नीम के पत्तों के साथ मिलाएं। प्रभावित स्थान पर लगाएं।
मानसून की खुजली, फोड़े-फुंसी, फंगल इंफेक्शन में उपयोगी।
मानसिक शांति और एकाग्रता में भी उपयोगी है
सेवन: तुलसी के रस की 5-7 बूंदें शहद के साथ लें या तुलसी टी लें। • यह मानसून की भारीपन और आलस्य को कम करता है, सत्वगुण बढ़ाता है और एकाग्रता सुधारता है।
मानसून में वात और कफ दोष बढ़ते हैं। ऐसे में तुलसी:
संक्रमण से रक्षा करती है रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है सर्दी, जुकाम, खांसी, बुखार, डायरिया, फंगल इंफेक्शन से बचाती है पेट को साफ रखती है त्वचा पर रैशेज़, फुंसी, और खुजली में राहत देती सावधानियां
तुलसी अधिक कच्ची पत्तियाँ खाली पेट ज्यादा मात्रा में न खाएं। हाई ब्लड प्रेशर के मरीज चिकित्सक से सलाह लें। तुलसी के साथ दूध तुरंत न लें – यह संयोजन विरोधी माना गया है।
निष्कर्ष
मानसून में तुलसी एक प्राकृतिक कवच की तरह काम करती है। तुलसी का सही तरीके से सेवन और प्रयोग हर उम्र के लिए एक सुरक्षा कवच है।